सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में इलाज में असमानता को लेकर केंद्र सरकार से स्टैंडर्ड हॉस्पिटल चार्ज रेट बनाने को कहा, लगाई फटकार
1 min readनई दिल्ली। सरकारी अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने में एक आंख के लिए लगभग 10,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है, जबकि निजी अस्पताल में यह खर्च 30,000 रुपये से 1,40,000 रुपये तक जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस असमानता पर चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार को 14 साल पुराने कानून को लागू करने में नाकाम रहने के लिए फटकार लगाई। यह कानून है क्लिनिकल स्थापना नियम (केंद्र सरकार)। इस कानून के अनुसार, राज्यों के साथ विचार-विमर्श करके महानगरों, शहरों और कस्बों में इलाज और बीमारियों के इलाज के लिए एक मानक दर तय की जानी चाहिए थी।
हाइलाइट्स
- प्राइवेट अस्पतालों में लागू होगा CGHS रेट्स?
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्टैंडर्ड हॉस्पिटल चार्ज रेट बनाने को कहा
- सर्वोच्च अदालत ने सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में इलाज में असमानता पर चिंता जताई
कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो वह CGHS रेट को लागू कर देगी
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस बारे में राज्यों को कई बार चिट्ठी लिखी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार है और केंद्र सरकार इस आधार पर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को एक महीने के अंदर मानक दर अधिसूचित करने के लिए राज्यें के अधिकारियों संग बैठक बुलाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले का हल खोजने में विफल रहती है, तो हम याचिकाकर्ता की सीजीएचएस- निर्धारित मानक दरों को लागू करने की याचिका पर विचार करेंगे।