September 7, 2024

दिल्ली के बुराड़ी के बाद अब तेलंगाना में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन पर कांग्रेस ने धामी सरकार को लिया आड़े हाथ

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देहरादून। दिल्ली के बुराड़ी के बाद अब तेलंगाना में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन होने पर धामी सरकार को कांग्रेस ने आड़े हाथों लिया है। बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने धामी सरकार से पूछा कि सीएम बताएं कि दूसरे राज्यों में किये जा रहे इस तरह के प्रयासों को रोकने के लिए उत्तराखंड का कानून किस प्रकार कारगर साबित होगा।

बता दें कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने वृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में कानून बनाने का फैसला लिया। जिसके तहत अब देश में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के नाम से दूसरे मंदिर या ट्रस्ट नहीं बनेंगे। साथ ही इसको रेगुलेट करने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे।

हाइलाइट्स

  • बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने धामी सरकार से पूछा कि सीएम बताएं कि दूसरे राज्यों में क्यों किये जा रहे इस तरह के प्रयास।
  • केदारनाथ मंदिर बनाने के विरोध को देखते हुए धामी सरकार ने वृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में कानून बनाने का फैसला लिया।
  • देश में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के प्रमुख मंदिरों के नाम से दूसरे मंदिर या ट्रस्ट नहीं बनेंगे।
  • गणेश गोदियाल ने कहा कि बीती 10 जुलाई को मुख्यमंत्री ने दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम नाम से मंदिर का शिलान्यास किया।

कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा कि बीती 10 जुलाई को मुख्यमंत्री ने दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम नाम से मंदिर का शिलान्यास किया था, लेकिन उसके बाद से अन्य राज्यों में भी इस तरह के मंदिरों को स्थापित करने की बाढ़ सी आ गई। उन्होंने कहा कि तेलांगना में देवभूमि उत्तराखंड सेवा संस्थान नाम की संस्था ने केदारनाथ धाम मंदिर को लेकर भूमि पूजन किया, ऐसे में अब यह चलन विभिन्न राज्यों में चल पड़ा है।

गणेश गोदियाल ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि उत्तराखंड में बनाया गया कानून प्रदेश की सीमाओं के अंतर्गत ही लागू किया जा सकता है, इसलिए अन्य राज्यों में केदारनाथ नाम से बनाये जा रहे मंदिरों के प्रयासों को रोकने के लिए भाजपा की केंद्र सरकार को अंब्रेला कानून (एक कानून) लेकर आना चाहिए और यह कानून पूरे देश में लागू हो, ताकि उत्तराखंड के हितों का संरक्षण हो सके।

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