April 29, 2025

बेजोड़ कला का नमूना प्रस्तुत करती है नरेंद्रनगर महाविद्यालय की झांकी

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डॉ. विक्रम सिंह बर्त्वाल 

उत्तराखंड के प्रसिद्ध कुंजापुरी मेले के उद्घाटन सत्र में बैंड की धुन पर परेड और झांकियों की प्रस्तुति आकर्षक एवं मनभावन रही झांकी प्रस्तुति में धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविद्यालय की ओर से प्रस्तुत झांकी सामाजिक,आर्थिक, धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विषय वस्तु के साथ कला के बेजोड़ नमूने को प्रतिष्ठापित करने में सफल रही है।

बताते चलें कि यह मेल प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मां कुंजापुरी के नाम से नरेंद्र नगर में नगर पालिका परिषद नरेंद्र नगर के सौजन्य से ‘मां श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेला समिति’ द्वारा आयोजित किया जाता है। इस वर्ष यह मेला 48 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। नगर पालिका परिषद का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण इस वर्ष मेले का आयोजन प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। मां श्री कुंजापुरी पर्यटन एवं विकास मेला समिति -2024 के सहयोग से मेला 3 से 10 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है।

मेला कार्यक्रमानुसार 3 अक्टूबर को मेले का शुभारंभ मुख्य अतिथियों के बैच अलंकरण, ध्वजारोहण और मेला प्रारंभ की घोषणा के साथ हुआ। इसके बाद सिलसिला शुरू हुआ जिलेभर से आये स्कूलों एवं विभागों के झांकी प्रदर्शन का।

विभिन्न विषयों को केंद्र में रखकर आम आदमी को संदेश देने की झांकी प्रतिस्पर्धा काफी मनभावन और रोचक रही।झांकी प्रतिस्पर्धा में उच्च वर्ग के अंतर्गत राजकीय महाविद्यालय नरेंद्र नगर की झांकी आकर्षण का केंद्र रही।’जिम्मेदार पर्यटन- सदाबहार पर्यटन’ (रिस्पांसिबल टूरिज्म, सस्टेनेबल टूरिज्म) की थीम पर निर्मित या झांकी संपूर्ण परिदृश्य को कलात्मक रूप से प्रस्तुत करने में बेमिसाल रही है। संदेश के रूप में जिम्मेदार पर्यटन का उद्देश्य सामाजिक, धार्मिक,आर्थिक और पर्यावरणीय नकारात्मकता को कम करना है। उत्तरदायी पर्यटन हमें नैतिकता के साथ एक पर्यटक एवं एक जिम्मेदार नागरिक का बोध कराता है। उत्तरदायी पर्यटन के संस्थापक ‘श्री हेराल्ड गुडविन’ का सपना भी यही था।

नरेंद्र नगर महाविद्यालय की झांकी जो कि लगभग 10 फीट लंबी 8 फीट ऊंची और 3 फीट चौड़ाई के आकार में निर्मित की गई है। झांकी में पहाड़ी को सुंदर तरीके से उकेरा गया है, जिसके शिखर पर कुंजापुरी माता का मंदिर तलहटी में ऋषिकेश की ओर बहती हुई गंगा नदी ,जंगल तथा अन्य विकास सूचक जैसे सड़क, पुल , रोप-वे ,राफ्टिंग,रिजाल्ट ,होम स्टे, पर्यटक कैंप आदि को सजीव रूप से निर्मित किया गया है।

झांकी में पहाड़ ,जंगल और नदी के साथ मानवीय हलचल को संवेदनशीलता और नैतिकता के दायरे में सीमित रखकर पर्यटन का आनंद लेने का आह्वान किया गया है। जिसे धार्मिक ,आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उत्तरदायी पर्यटन के संदेश के रूप में देखा जा सकता है।

झांकी में ऋषिकेश के पास गंगा नदी के ऊपर ‘बजरंग सेतु’जो की निर्माणाधीन है, को स्थान दिया गया है। उल्लेखनीय है कि यह पुल भारत का प्रथम ‘ ग्लास ब्रिज’ बनने जा रहा है। इसके साथ ही ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला से पांच टावरों के सहारे कुंजापुरी मंदिर तक 6 ट्राली को बड़े ही बेजोड़ ढंग से प्रस्तुत किया गया है। ऋषिकेश- कुंजापुरी सर्पिलाकार सड़क मार्ग झांकी निर्माताओं की कौशलता को प्रदर्शित करता है। कुल मिलाकर झांकी के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड की गरिमा के अनुरूप जल, थल और वायु में ‘जिम्मेदार पर्यटन’की परिकल्पना को उकेरने में झांकी सफल रही है। स्थानीय विधायक और सूबे के वन मंत्री सुबोध उनियाल के ड्रीम प्रोजेक्ट का धरातलीय स्वरूप भी झांकी में परिलक्षित होता है।

झांकी निर्माण सामग्री के संग्रहण एवं संयोजन में महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रयोगशाला सहायक मुनेंद्र कुमार की प्रधान भूमिका रही है। झांकी निर्माण सहयोगी टीम में महाविद्यालय के कार्मिक रमेश पुंडीर,भूपेंद्र खाती, शीशपाल भंडारी, महेश,संजीव कश्यप तथा अनूप नेगी प्रमुख तौर पर शामिल रहे हैं। थीम चयन एवं परिकल्पना में कॉलेज प्राचार्य एवं सांस्कृतिक समिति की विशेष भूमिका रही है। संपूर्ण झांकी के संयोजन में कॉलेज परिवार की भागीदारी से झांकी संदेश प्रभावी एवं अर्थपूर्ण बनने में कामयाब रहा है। महाविद्यालय का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है।

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