भारतीयों को नहीं थी यहाँ घूमने की इजाजत, मोतीलाल नेहरू ने तोडा नियम
1 min readमसूरी।
ब्रिटिश शासन में भारतीयों को पहाड़ों की रानी मसूरी में घूमने की इजाजत नहीं थी। भारत में आपको कई ऐसी जगह मिल जाएंगी, जहां एक बार जाने के बाद बार-बार जाने का मन होगा, उनमें मसूरी हिल स्टेशन भी आता है। इस हिल स्टेशन को विख्यात करने वाले यहाँ बहुत सारे पर्यटक स्थल हैं जो दिन-रात लोगों से खचाखच भरे रहते हैं। इसमें केम्पटी फॉल, गन हिल, कम्पनी गार्डन, झाड़ीपानी फॉल्स देवलसारी जैसी जगह मौजूद हैं। लेकिन क्या आप इस जगह से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातों के बारे में जानते हैं? कहते हैं यहां किसी समय अंग्रेज भारतीयों को चलने की भी इजाजत नहीं देते थे। यही नहीं मसूरी का नाम एक पौधे के नाम पर रखा गया था। चलिए आपको मसूरी के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं।
भले ही मसूरी को अंग्रेजों ने बसाया हो, लेकिन इसका नाम आज भी एकदम स्वदेशी है। बता दें, ये नाम झाड़ी मंसूर से लिया गया है। ये झाडी मसूरी में काफी मात्रा में मिलती थी, और दिलचस्प बात तो ये है आज भी लोग इस जगह को मंसूर नाम से बुलाते हैं। अगर आप सोच रहे हैं आखिर इसकी खोज किसने की थी, तो इसे एक युवा ब्रिटिश सैन्य अधिकारी युंग और देहरादून निवासी मास्टर शोर द्वारा साथ में मिलकर ढूंढा गया था।
मसूरी का सबसे ऊंचा पॉइंट लाल टिब्बा 2,290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से आप मसूरी की बेहतरीन वादियों को आराम से देख सकते हैं। यहां से हिमालय रेंज को भी आसानी से देखा जा सकता है। अगली बार आप जब भी मसूरी जाएं तो एक बार लाल टिब्बा जरूर घूमें।
शायद आप ये बात न जानते हो और बड़े ही आराम से अब मसूरी में आना-जाना कर लेते होंगे। लेकिन शायद ये बात जानकार आपको हैरानी होगी कि ब्रिटिश काल में भारतीयों को मसूरी में आने की अनुमति नहीं थी। यहां माल रोड पर ब्रिटिश सरकार द्वारा दीवार पर लिखवाया गया था “Indians and Dogs Not Allowed”. लेकिन बाद में मोतीलाल नेहरू द्वारा इस नियम को तोड़ दिया गया।