टिहरी झील टूरिज्म प्रोजेक्ट को लेकर बैठक, ओनरशिप और भागीदारी में स्थानीय लोगों को मिलेगी प्राथमिकता
1 min readदेहरादून। टिहरी झील और इसके कैचमेंट एरिया में विकास कार्यों को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं। इस दौरान यह स्पष्ट किया गया है कि इससे जुड़े काम ऑन की डीपीआर पर काम करने के साथ ही योजनाओं के सभी स्टेकहोल्डर्स खास तौर पर स्थानीय लोगों की भागीदारी को भी सुनिश्चित कर लिया जाना जरुरी है। इसके अलावा पर्यटन से जुड़े विभिन्न कार्यों और योजनाओं के लिए स्थानीय लोगों की ओनरशिप और भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। इतना ही नहीं विभिन्न योजनाओं के लिए स्थानीय लोगों से विचार विमर्श करने और उनके सुझाव को भी शामिल करने के लिए कहा गया ।
मुख्य सचिव में इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी तमाम योजनाओं में पर्यावरण संबंधी मानकों का पूरी तरह से ख्याल रखा जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में खासतौर पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग पर ठोस अवशिष्ट प्रबंधन के लिए पुख्ता व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है। इस दौरान पर्यटन के विकास से संबंधित सभी योजनाओं में स्थानीय लोगों को कितना रोजगार मिला और उन्हें क्या लाभ हुआ इसका भी मूल्यांकन किया जाएगा।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा टिहरी को एक ब्रांड पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। टिहरी के ऐतिहासिक महत्व को दोबारा स्थापित करने और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव की बैठक में 1294 करोड़ रुपए की लागत के टिहरी झील प्रोजेक्ट के तहत 52 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लगभग 103 गांव की लगभग 96 हजार आबादी को लाभ मिलेगा. प्रोजेक्ट के तहत डोबरा चांटी, तिवार गांव, कोटी कालोनी, न्यू टिहरी, मदन नेगी क्षेत्र का विकास होगा।