बदरीनाथ और केदार पर गोदियाल का दोहरा मापदण्ड, मुम्बई में बने मंदिर पर क्यों रहे चुप: चौहान
1 min read11 करोड़ मे बने मंदिर के वक्त गोदियाल थे बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष
उपचुनाव को देखते हुए दिल्ली में केदारनाथ मंदिर पर हुए सक्रिय
देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल दोहरा मापदंड अपनाते रहे हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
चौहान ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर निर्माण के मामले में सरकार पर लगातार निशाना साध रहे कांग्रेस के नेता गणेश गोदियाल यह भूल गए हैं कि 9 साल पहले उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री ने मुम्बई में बदरीनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। वह मुख्यमंत्री और कोई नहीं बल्कि हरीश रावत थे। हरीश रावत ने ही मुम्बई में बदरीनाथ मंदिर का सिलान्यास किया था। हैरानी की बात है कि गणेश गोदियाल उस समय बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष थे, लेकिन तब उन्होंने मंदिर निर्माण का विरोध करने के बजाए उसमें सहयोग किया था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में मुंबई के वसई नामक स्थान में 11 करोड़ की लागत से भब्य बदरीनाथ मंदिर बनाया गया था। जिसके शिलान्यास के अवसर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब कांग्रेसियों द्वारा यह कहा गया कि एक ही नाम से मंदिर बनने से कोई फर्क नही पड़ेगा। तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुंबई में बने बदरीनाथ मंदिर बनने का विरोध नहीं किया। अब वह दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर बनाए जाने को लेकर धामी सरकार के खिलाफ कुप्रचार कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली में बन रहे मंदिर से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है और ना ही राज्य सरकार अथवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके निर्माण आदि के लिए किसी प्रकार का कोई सहयोग दिया है । मुख्यमंत्री धामी साफतौर पर कह चुके हैं कि दिल्ली में प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह कुछ विधायकों, जन प्रतिनिधियों तथा साधु-संतों के अनुरोध पर गये थे। यह रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा था।
चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने धार्मिक कार्यक्रम के नाते कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दी थी। इसके पीछे यह मंतव्य कहीं भी नहीं था कि प्रस्तावित मंदिर को बाबा केदार के धाम के रूप में विकसित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ विधानसभा सीट पर अलगे कुछ महीनों के उपचुनाव होने हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में हुए केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को मुद्दा बनाना चहता है। इसी क्रम में गणेश गोदियाल रोज सरकार पर हमलावर हैं। जबकि हकीकत यह है कि इस मसले पर विवाद शुरू होते ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सख्ती के साथ केदानाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली को मंदिर का निर्माण रुकवाने को कहा। इसके लिए एक सख्त कानून भी बना दिया गया है। मुख्यमँत्री धामी की तल्खी का ही असर है कि इस ट्रस्ट ने अब मंदिर निर्माण के निर्णय को वापस ले लिया है बल्कि ट्रस्ट का अस्तित्व भी वैधानिक रूप से समाप्त किए जाने की घोषणा ट्रस्टियों की ओर से की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि किसी भी मामले में दोहरे मापदण्ड कैसे हो सकते हैं ? केदारनाथ के नाम से दिल्ली में मंदिर बन जाए तो गलत और मुम्बई में बदरीनाथ का भव्य मंदिर बन जाए तो सही। बेशक गोदियाल दो बार विधानसभा का चुनाव जीते हों लेकिन अति उत्साह में उनके द्वारा समय समय पर दिए गए गैर जिम्मेदाराना बयान चुनावों में कांग्रेस को भारी पड़े हैं। सनातन और धार्मिक मुद्दों पर तुष्टिकरण का राग अलापने वाली कांग्रेस के अचानक धर्म का आवरण ओढ़ने और बदलते रवैये से सभी आश्चर्यचकित तो हैं, लेकिन अब तक बहुसंख्यको के साथ भेदभाव के कारण लोग उसके नये रूप से अधिक आशंकित हैं।