July 27, 2024

सिख समुदाय के नववर्ष की शुरूआत, बैसाखी पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

1 min read

हरिद्वार हरकी पैड़ी में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़

न्यूज़ पोस्ट 24×7 डेस्क
हरिद्वार। आज से सिख समुदाय के नववर्ष की शुरूआत भी हो रही है. देशभर में बैसाखी पर पर्व और त्योहारों की धूम मची हुई है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से ये त्योहार मनाया जा रहा है.ये त्योहार फसलों के पकने का प्रतीक है. इस महीने खेतों से आई नई फसलें किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाती हैं. कई महीनों की मेहनत के बाद तैयार फसल मंडियों में बिकने जाती है और किसानों के घर खुशहाली आती है. आज के दिन गंगा में स्नान का भी विशेष महत्व है. हरिद्वार में हर की पौड़ी में गंगा स्नान के लिए काफी भीड़ उमड़ी है.

हरिद्वार हरकी पैड़ी में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़

बैसाखी पर्व के अवसर पर हरिद्वार में हर की पौड़ी पर श्रद्धालुओं ने पावन स्नान किया। बता दें कि बैसाखी का त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार को पंजाब और हरियाणा में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बैसाखी के कई अलग-अलग नाम हैं. इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं. बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं.

इस महीने में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है. इसीलिए बैसाखी को फसल पकने और सिख धर्म की स्थापना के रूप में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. तभी से बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन से सिखों के नए साल की शुरुआत होती है. बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं. वैशाख माह के पहले दिन को बैसाखी कहा गया है. इस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं जिस कारण इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.