जब काशी या वाराणसी पानी में डूब जाएगी तब भगवान काशी विश्वनाथ को इस मंदिर में कर दिया जाएगा स्थानांतरित
1 min readप्रदीप चौहान, उत्तरकाशी।
उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र मैं समुद्र तल से लगभग 1,158 मीटर (3,799 फ़ीट) ऊंचाई पर के भागीरथी नदी के तट से लगा हुआ उत्तरकाशी शहर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का महत्व पूर्ण स्थान है। 1960 मैं इस शहर के नाम से उत्तरकाशी जिला अस्तित्व मैं आया।
यहाँ काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को शुरू में भगवान परशुराम ने बनाया था, जिसको बाद में 1857 में सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी श्रीमती खनेती द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण पहले से मौजूद प्राचीन वेदी पर पारंपरिक हिमालयी मंदिर वास्तुकला के साथ 1857 ई. किया गया था।
किंवदंती है कि भगवान शिव इसे कलियुग के दूसरे निवास स्थान के रूप में मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब काशी या वाराणसी पानी के नीचे डूब जाएगी तब भगवान काशी विश्वनाथ को उत्तरकाशी के इस मंदिर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
भगवान काशीविश्वनाथ का यह मंदिर ऋषि मार्कंडेय से जुडा हुआ भी माना जाता है। महर्षि मार्कंडेय जब सोलहवां साल आरम्भ हुआ तो उनके माता-पिता उदास रहने लगे, पुत्र ने कई बार उनसे उनकी उदासी का कारण जानने का प्रयास किया। एक दिन महर्षि मार्कण्डेय ने बहुत जिद की तो महामुनि मृकण्डु महर्षि के पिता ने बताया कि भगवान शंकर ने तुम्हें मात्र सोलह वर्ष की आयु दी है और यह पूर्ण होने वाली है। इस कारण मुझे शोक हो रहा है। इतना सुन कर मार्कण्डेय ऋषि ने अपने पिता जी से कहा कि आप चिंता न करें मैं शंकर जी को मना लूँगा और अपनी मृत्यु को टाल दूंगा। इसके बाद वे घर से दूर एक जंगल में चले गए। वहां एक शिवलिंग स्थापना करके वे विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने लगे। निश्चित समय आने पर काल पहुंचा तो महर्षि ने उनसे यह कहते हुए कुछ समय माँगा कि अभी वह शंकर जी कि स्तुति कर रहे हैं। जब तक वह पूरी कर नही लेते तब तक प्रतीक्षा करें। काल ने ऐसा करने से मना कर दिया तो मार्कण्डेय ऋषि जी ने विरोध किया। काल ने जब उनके प्राण हरने चाहा तो वे शिवलिंग से लिपट गए, इस सब के बीच भगवान् शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने काल की छाती में लात मारी। उसके बाद मृत्यु देवता शिवजी कि आज्ञा पाकर वहां से चले गए। इसी कारण काशी विश्वनाथ मंदिर के शिवलिंग का झुकाव दक्षिण दिशा की ओर देखा जा सकता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी मुख्य बाजार में स्थित है, यह मंदिर गंगोत्री एनएच 34 के निकट है। ऋषिकेश और देहरादून निकटतम रेलवे स्टेशन हैं, जो उत्तरकाशी से मात्र 167 किलोमीटर दूर स्थित है, जबकि देहरादून में जॉली ग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है जो 171 किलोमीटर जहाँ से मसूरी होते हुए यहाँ पहुंचा जा सकता है।