राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा: अयोध्या लिखेगा राजनीतिक लाभ हानि का नया अध्याय
1 min readआज अयोध्या में श्री रामचंद्र भगवान के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है, पिछले कई दिनों से भगवान श्री रामचंद्र और उनके मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा बनी हुई है, तमाम राजनीतिक दलों, नेताओं और आम लोगों के बीच इस आयोजन को लेकर गहामागहमी गई बनी हुई थी। मीडिया के प्रत्येक प्लेटफार्म पर श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुद्दों पर बहस छिड़ी हुई थी। कुछ लोग इस कार्यक्रम को लेकर मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे थे कि लोगों की धार्मिक भावनाओं का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इतना ही नहीं अन्य दल भी आगामी लोकसभा चुनाव मैं पार्टी विशेष को इसका लाभ मिलता दिख रहा है।
इस बीच गौर करने वाली बात यह है कि देश में बेरोजगारी चरम पर है, अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है, सरकारी जनहित का काम न करके धर्म की आड़ में ज्वालंत मुद्दों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।
राजनीति में धर्म की आड़ सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों का है, जहां वास्तविक लोकतंत्र में सरकार की भूमिका की परिभाषा ही बदल जाती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसदीय प्रणाली के तहत लोक कल्याणकारी सरकार का होना आवश्यक है किंतु धर्म जाति समुदाय के नाम पर जिस प्रकार राजनीतिकरण हो रहा है उसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ता है। अपराध, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं पर ध्यान देना और उसका हल निकालना आवश्यक है, किंतु वास्तविकता कुछ और ही दिखाई दे रही है।
अब बात करते हैं आज अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की जिसमें सीधा राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस के साथ अन्य राजनीतिक दल इस आयोजन को हिंदूवादी विचारधारा का आयोजन मान रही है।
राम मंदिर का मुद्दा भाजपा हर चुनाव में चुनाव में भूनती आई है, और इसका लाभ भी मिला है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाना पूरी तरह राम मंदिर के नाम पर दोबारा सत्ता में आने की सार्थक कोशिश है। हालांकि आम चुनाव में प्रमुख मुद्दे आम लोगों की समस्याओं से जुड़े हुए होने चाहिए।
जिस प्रकार से भाजपा ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं को कार्यक्रम में सम्मिलित होने का न्योता दिया था और वह न्योता उनके द्वारा स्वीकार नहीं किया गया, वही चारों शंकराचार्य ने भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा किया जाना गलत माना है उसके बावजूद यह आयोजन किया जाता है तो इसका सीधा भाजपा को इसलिए मिलना तय है क्योंकि देश के बड़े समुदाय के आस्था से जुड़ा हुआ आयोजन है। हालांकि अन्य दल जैसे तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अयोध्या के कार्यक्रम में जाकर आज कोलकाता में कालीघाट मंदिर जाएगी उसके बाद सभी धर्म के लोगों के साथ सद्भावना रैली निकालेंगे। वहीं शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का नासिक के कालाराम मंदिर में महाआरती का कार्यक्रम है। कुल मिलाकर राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन का अन्य विकल्प ढूंढते हुए राजनीतिक दल अपनी अपनी कोशिश में जुटे हुए हैं।
आज यानि 22 जनवरी 2024 जहां इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा, वही अयोध्या मैं श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा राजनीतिक लाभ हानि का अध्याय भी लिखेगा।